जब बच्चे ने कांच की गोली निगल ली: कैसे हुआ सफल इलाज?

कांच की गोली या मार्बल जब बच्चे के पेट में फंस जाता है, तो यह अपने आप बाहर नहीं निकल सकता। इसके नुकीले किनारे पेट की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
संभावित खतरे:
- पेट में जख्म – कांच के नुकीले किनारे से
- खून की कमी – अंदरूनी चोट से
- संक्रमण का खतरा – घाव से बैक्टीरिया का फैलना
- रुकावट – खाना पचने में दिक्कत
यह स्थिति गंभीर है क्योंकि कांच का टुकड़ा समय के साथ और भी नुकसान पहुंचा सकता है।
अगर बच्चा कांच की गोली निगल ले तो घबराने की बजाय इन महत्वपूर्ण स्टेप्स को फॉलो करें:
क्या करना चाहिए?
- तुरंत अस्पताल ले जाएं
- बच्चे को शांत रखें और डराएं नहीं
- X-Ray कराएं – यह दिखाएगा कि गोली कहां है
- डॉक्टर की सलाह को पूरी तरह मानें
तुरंत एंडोस्कोपी की तैयारी करें
क्या नहीं करना चाहिए?
- उल्टी न कराएं – इससे और नुकसान हो सकता है
- दूध या पानी न दें – एंडोस्कोपी में बाधा
- इंतजार न करें कि अपने आप निकल जाएगा
- घरेलू नुस्खे न आजमाएं – समय बर्बाद होगा
दबाव न डालें पेट पर मालिश करके
हमारे अस्पताल में आया एक केस:
पिछले महीने 5 साल का आर्यन अपनी मां के साथ आया। खेलते समय उसने एक छोटी कांच की गोली निगल ली थी। X-Ray में पता चला कि गोली उसके पेट के निचले हिस्से में फंसी है।
डॉक्टरों की टीम ने बिना किसी सर्जरी के एंडोस्कोपी (Endoscopy) की मदद से गोली को सुरक्षित बाहर निकाला। यह एक न्यूनतम दर्द वाली प्रक्रिया थी, जिसमें बच्चे को पूरी तरह बेहोश किया गया ताकि उसे कोई असुविधा न हो।
परिणाम: 30 मिनट में सफल ऑपरेशन, उसी दिन घर वापसी, आज आर्यन बिल्कुल स्वस्थ है।
अगर इसमें देरी होती, तो कांच के टुकड़े से पेट की दीवारों को नुकसान हो सकता था, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी।
कांच की गोली निगलने की घटनाएं अक्सर 2 से 8 साल की उम्र के बच्चों में देखी जाती हैं। इसलिए, माता-पिता को पहले से सतर्क रहने की जरूरत है।
कैसे रखें बच्चों को सुरक्षित?
घर में सुरक्षा:
- छोटे खिलौनों के पार्ट्स चेक करें – टूटे तो तुरंत फेंकें
- मार्बल, कंचे बच्चों की पहुंच से दूर रखें
- सजावटी सामान (कांच की गोलियां) ऊंची जगह रखें
- खिलौने खरीदते समय age के अनुसार लें
- रोज चेकअप करें – घर में कोई छोटी चीज गिरी तो नहीं
बच्चों को सिखाएं:
- “मुंह में सिर्फ खाना जाता है”
- अजीब चीजें नहीं चबानी चाहिए
- कोई भी चीज निगलने से पहले पूछना चाहिए
तुरंत अस्पताल कब आएं?
- सांस लेने में दिक्कत
- लगातार खांसी और घरघराहट
- निगलने में परेशानी
- पेट में तेज दर्द
- उल्टी में खून के धब्बे
- बच्चा बोल नहीं पा रहा
यह घटना हमें सिखाती है कि बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जरा-सी लापरवाही किसी बड़ी दुर्घटना में बदल सकती है। इसलिए माता-पिता को हमेशा सतर्क रहना चाहिए और आपातकालीन स्थिति में सही कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।
अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे अधिक से अधिक माता-पिता और अभिभावकों तक पहुँचाएं। ताकि वे भी इस गंभीर समस्या से सतर्क रह सकें और अपने बच्चों को सुरक्षित रख सकें।
जागरूक रहें, सतर्क रहें, और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें!
डॉ. निखिल गांधी
बेस्ट गैस्ट्रोलॉजिस्ट इन बीकानेर
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